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किसानों का 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान

  • 28-Aug-2021

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन सर्वसम्मति से देश के हर गाँव में अपने आंदोलन का विस्तार करने और 25 सितंबर को भारत बंद का आह्वान करने के साथ शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसने किसानों से यह भी आह्वान किया कि वे मुजफ्फरनगर में एसकेएम की रैली को विरोध का एक विशाल प्रदर्शन बनाने के लिए पूर्ण प्रयास करें। विभिन्न किसानों, कृषि श्रमिकों, ट्रेड यूनियनों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, व्यापारी निकायों के 90 वक्ताओं को, 2000 से अधिक प्रतिनिधियों ने तीन कृषि अधिनियमों को रद्द करने, स सभी कृषि उपज की खरीद की कानूनी गारंटी करने, नए बिजली बिल को निरस्त करने और एनसीआर में वायु गुणवत्ता के नाम पर किसानों पर मुकदमा चलाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग को गई। सभा ने बार-बार अल्पसंख्यकों पर सांप्रदायिक हमलों करने और देश की प्राकृतिक संपत्ति और सार्वजनिक क्षेत्र को कॉर्पाेरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बेचने के खिलाफ भी नारे लगाए। इन तथा अन्य संबंधित विषयों पर प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। आयोजन समिति के संयोजक, डॉ आशीष मित्तल ने कहा कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आज पूरा किसान समुदाय कृषि, खाद्य भंडारण और कृषि बाजार के सभी पहलुओं पर कॉर्पाेरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण से लड़ने के लिए मजबूर है। इन परिवर्तनों से किसान ऋण, आत्महत्या और भूमि से विस्थापन में व्यापक वृद्धि होगी। लेकिन यह हमला किसानों और खेतिहर मजदूरों तक सीमित नहीं है। यह भारत के मेहनतकश लोगों के सभी वर्गों पर चौतरफा हमला हैं। देश की संपत्ति, जो अपने लोगों को रोजगार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए है, जैसे रेलवे, पावर ट्रांसमिशन लाइन, प्राकृतिक गैस संसाधन, दूरसंचार परियोजनाएं, खाद्य भंडारण, बीमा, बैंक, आदि, को बेचे जा रहा है। गरीबों के लिए कल्याण और सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सब्सिडी और राशन पर निशाना साधा जा रहा है। आवश्यक वस्तुओं, विशेषकर ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि की जा रही है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है और इन क्षेत्रों के विकास में केवल कॉरपोरेट का वर्चस्व है। यह ऐतिहासिक किसान संघर्ष, जिसने अपने उपर सरकार के हमले को चुनौती दी है, केवल अपने अस्तित्व की लड़ाई नहीं है। यह देश को भारतीय और विदेशी कॉरपोरेट्स द्वारा, पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने से बचाने की लड़ाई है।