नई दिल्ली।
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि 'किसान संसद से किसानों ने गूंगी -बहरी सरकार को जगाने का काम किया है।
किसान संसद चलाना भी जानता है और अनदेखी करने वालों को गांव में सबक सिखाना भी जानता है। भुलावे में कोई न रहे।' राकेश टिकैत ने किसानों से एकजुट रहे की अपीलन की है। संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। इस बीच दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' भी चल रहा है। 'किसान संसद' के तीसरे दिन राकेश टिकैत ने यह बात मकही है। किसान नेताओं का दावा है कि किसान संसद के दौरान हर रोज 200 किसान यहां पहुंच रहे हैं।
जब तक संसद का सत्र चलेगा तब तक 'किसान संसद' भी चलेगी। किसान अपनी बात से पीछे नहीं हटेंगे। गुरुवार से किसानों का यह संसद चल रहा है और वहां पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं।
'किसान संसद' को लेकर किसानों का कहना है कि इससे सरकार को यह पता रहेगा कि आंदोलन अभी जिंदा है। किसानों का कहना है कि कई किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर पिछले 8 महीने से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बातें सुनने के लिए राजी नहीं है। किसानों की योजना है कि यह किसान संसद 13 अगस्त तक आयोजित की जाएगी।
13 अगस्त को ही मॉनसून सत्र खत्म हो रहा है। हालांकि, दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने किसानों को 9 अगस्त तक ही प्रदर्शन करने की इजाजत दी है। अगर संसद में बैठे विपक्षी दल के सदस्य उनकी बातों को संसद के अंदर नहीं उठाते हैं तो किसान ऐसे विपक्षी सांसदों के खिलाफ भी प्रदर्शन करेंगे।