मेरठ, ग्रीन इंडिया
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महा अभियान (पीएम कुसुम योजना) ग्रामीण किसानो के लिए महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को अपने प्राईवेट टयूबवेलों पर सोलर पम्प लगाने की सुविधा प्रदान की गई है।
पीवीवीएनएल के प्रबन्ध निदेशक अरविन्द मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि कुसुम योजना ग्रामीण क्षेत्रो की तस्वीर बदलने में मददगार साबित होगी। यह योजना किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बनेगी। किसान अधिक से अधिक नगदी फसल का उत्पादन करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं अथवा किसान खेती हेतु अपनी आवश्यकता से अधिक उत्पादित ऊर्जा वितरण निगम को विक्रय कर अपनी आय में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। ग्रीष्म काल में लोड बढ़ने से ट्रांसफार्मरों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकेगा। योजना के क्रियान्वयन होने से विद्युत लाईन हानियों में कमी आयेगी तथा विद्युत चोरी को समाप्त करने में यह योजना कारगर सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि किसान इस योजना का लाभ व्यक्तिगत रूप से सोलर पम्प लगाने अथवा सामुदायिक स्तर पर समूह में सोलर पम्प लगाकर अथवा अपनी जमीन को लीज पर देकर सोलर पम्प लगा सकते हैं।
योजना के अन्तर्गत किसानों को 30 प्रतिशत केन्द्र सरकार द्वारा तथा इतना ही अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा। शेष 40 प्रतिशत लागत का वहन किसान द्वारा स्वयं किया जायेगा। परन्तु इस अंश से भी किसान को बैंक द्वारा वित्त पोषण दिलाकर सहयोग प्रदान किया जा सकता है।
इस पायलेट प्रोजेक्ट हेतु डिस्काम के अन्र्तगत तीन सब-स्टेशनों को चयनित किया गया है जिसमें सहारनपुर क्षेत्र मे विद्युत वितरण खण्ड-नकुड के उपकेन्द्र अम्हेडा पीर, मुरादाबाद क्षेत्र मे विद्युत वितरण खण्ड-धामपुर के उपकेन्द्र अफजलपुर एवं गाजियाबाद क्षेत्र में विद्युत वितरण खण्ड-मोदीनगर के उपकेन्द्र गदाना के लगभग 115 कृषि फीडरों का चयन किया गया है। योजना के अन्र्तगत पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 मेरठ को 1700 विद्युत पम्पों को सौर ऊर्जा में उर्जीकृत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिससे ऊर्जा के परम्परागत स्त्रोतो पर इन कृषि पम्पों की निर्भरता को कम किया जा सके।
योजना का क्रियान्वयन डिस्काम एवं यूपी नेडा द्वारा किया जाएगा। चयनित किये गये सबस्टेशनों की सूची यूपीनेडा को उपलब्ध करा दी गयी है। यूपीनेडा द्वारा योजना के क्रियान्वयन हेतु स्टेट नोडल एजेंसी के रूप में विद्युत वितरण निगमों तथा लाभार्थी किसानों के बीच समन्वय का कार्य किया जायेगा।