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डा.भीमराव अंबेडकर हमारे लिए प्रेरणा स्रोत: डा.अतुल कृष्ण बौद्ध

  • 09-Dec-2019

मेरठ, ग्रीन इंडिया शहर के मलियाना में स्थित डा.अंबेडकर पार्क में उन्मुक्त भारत एवं क्षेत्रवासियों द्वारा बाबा साहेब डा.भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं उन्मुक्त भारत के राष्ट्रीय संयोजक डा.अतुल कृष्ण बौद्ध ने तथागत गौतम बुद्ध एवं बाबा साहेब डा.भीमराव अंबेडकर के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित करके किया। इस दौरा बौद्ध विद्वान डा. चन्द्रकीर्ति भंते ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा.अतुल कृष्ण बौद्ध ने कहा कि आज का दिन बाबा साहेब के बताए रास्तों पर चलकर उनकी विचार धारा को विश्व में फैलाने का संकल्प लेने का दिन है और नाइन्साफी, जुल्म, शोषण एवं अशिक्षा के साथ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर देश व समाज को समानता के पथ पर लाकर भारत को विश्व गुरु बनाने का दिन है। उन्होंने कहा कि तथागत गौतम बुद्ध ने मानवता के कल्याण हेतु जो पंचशील का सिद्धांत जीवन के मंत्र रूप में दिया है उसी को अपना कर मानव अपना सर्वांगीण कल्याण कर सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में मानवता के प्रति फैल रही गैरबराबरी की प्रथा एवं निर्मल वर्ग के लोगों के साथ गलत व्यवहार तथा शोषण के विरुद्ध बाबा साहब डा.भीमराव अम्बेडकर ने लोगो को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके उन्हें न्याय एवं समाज में सम्मानित स्थान दिलाया तथा भारत के संविधान में ऐसी व्यवस्था की के हर वर्ग के लोगों को बराबरी के दर्जे के साथ उनको न्याय मिल सके तथा भारत विश्व में अपने सर्वसुलभ संविधान से पहचाना जाएं। कार्यक्रम के संयोजक व उन्मुक्त भारत के नगर प्रभारी राजकुमार सागर ने कहा कि भारत में प्राचीन सभ्यता के प्रतीक तथागत गौतम बुद्ध है और उनके द्वारा पूरे संसार को शान्ति के साथ उन्नति करने एवं करूणा के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी गई है। उन्होंने कहा कि तथागत बुद्ध का जीवन, कथन और शिक्षाएं इंसान को दुखों से मुक्ति दिलाने, ज्ञान और सही मार्ग पर चलने दिशा और कर्म को इंसान की प्रगति का सही रास्ता बताने की सीख देता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि वंचितों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर बाबा साहब के सपनों के भारत का निमार्ण किया जाएं। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने अपना संपूर्ण जीवन शोषित समाज के लिये संघर्ष करते हुए व्यतीत कर दिया और दबे कुचले वर्ग के लोगो को नया जीवन दिया जो आज सम्मान के साथ जी रहें है। बौद्ध विद्वान डा. चन्द्रकीर्ति भंते ने कहा कि सम्पूर्ण मानव जाति ओर विश्व में शान्ति, एकता और समरस्ता लाने के लिए आज यह अनिवार्य है कि प्रत्येक मानव, अपने दैनिक जीवन व व्यवहार में तथागत बुद्ध के दर्शन व बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर की शिक्षाओं को अपनाए। साथ ही हमको अपने वचन, विचार और कर्म को भी धर्म के मार्ग के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। वरिष्ठ समाजसेवी शिब्बनलाल स्नेही ने कहा कि संविधान के निर्माता बाबा साहब डा.भीमराव अम्बेडकर के बलिदान को नमन उनके बताएं रास्ते पर चलकर समाज में समानता लाने एवं सभी को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि सुख एवं आनंद की अनुभूति तथागत बुद्ध के बताए रास्तों पर चलने से ही पूर्ण होगी। मंच का संचालन राजकुमार सागर ने किया। इस अवसर पर डा. हरविंदर, भंते डा.राकेश आनंद, भंते ज्ञान ज्योति, इंद्रपाल बौद्ध, राजाराम भारती, देवेन्द्र हिसाली, सतीश नवल, ताराचन्द जाटव, अशोक टकसालिया, चमनलाल, पिन्टू, ई.अमित, बीरसिंह गौतम, अनिल भारती सहित आयोजक समिति के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा।