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भाजपा को किसानों की नहीं पूंजीपतियों की चिंता

  • 15-Jun-2021

मेरठ। राष्ट्रीय लोकदल के क्षेत्रीय अध्यक्ष हस्तिनापुर चौधरी यशवीर सिंह ने कहा कि किसान-मजदूर ही देश की रीढ़ हैं। ये खुशहाल होंगे, तभी देश खुशहाल होगा। इस समय देश और प्रदेश में भाजपा की सरकार है, जिसे न तो किसानों की चिंता है और न ही मजदूरों की। इन्हें तो बस पूजीपतियों की चिंता है। चौ.यशवीर सिंह ने यहां लोकसत्य कार्यालय में एक साक्षात्कार के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि रालोद किसान-मजदूरों का दल है। चौ.चरण सिंह किसानों के मसीहा रहे हैं। उनके बाद लंबे समय तक चौ. अजित सिंह ने किसानों के लिए संघर्ष किया। चौ.चरण सिंह और चौ.अजित सिंह ने किसान-मजदूरों के लिए जो कर दिखाया है वह आज तक किसी ने नहीं किया। अब चौ.अजित सिंह के बाद जयंत चौधरी रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह किसानों की समस्याओं से भली-भांति परिचित हैं। लोकसभा सदस्य रह चुके हैं। आज किसानों को जो भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजा मिल रहा है वह जयंत चौधरी की ही देन है। यशवीर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने उद्योगपतियों के लिए ही तीनों काले कानून बनाये हैं, जो पूरी तरह किसान विरोधी हैं। इनके विरोध में सात माह से किसान आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है। किसान आंदोलन ढीला पड़ने के सवाल पर यशवीर सिंह ने कहा कि आंदोलन के चरण होते हैं, वह कभी तेज तो कभी मद्धम होता रहता है। इस मुद्दे पर सभी किसान एकजुट हैं और सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने होंगे। यशवीर सिंह ने कहा कि 2022 के विधान सभा चुनाव में रालोद-सपा मिलकर लड़ेंगे। यह गठबंधन हर हाल में सरकार बनायेगा। प्रदेश की जनता इस चुनाव में भाजपा को सबक सिखायेगी। रालोद ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। बूथ स्तर पर संगठन खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गन्ना यूपी की कैश क्रॉप है। इसी पर पूरे प्रदेश की अर्थव्यवस्था टिकी है लेकिन भाजपा सरकार ने तीन साल में गन्ना मूल्य में एक रुपये की वृद्धि नहीं की जबकि गन्ने की उत्पादन लागत तीन गुना बढ़ चुकी है। पंचायत चुनाव पर क्षेत्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दिनों हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा को अपनी स्थिति का पता चल चुका है। अधिकांश सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार पराजित हुए हैं। अब जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों के चुनाव होने हैं। इसके लिए भाजपा ने अभी से सत्ता का दुरुपयोग करके विपक्षी सदस्यों को डराना-धमकाना शुरू कर दिया है। उन पर दबाव बनाया जा रहा है। इसके बावजूद इस चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी और रालोद-सपा गठबंधन के उम्मीदवार ही चुनाव जीतेंगे।