श्रीनगर।
कश्मीर में सुरक्षबलों को आतंकवाद के मौर्चे पर एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। घाटी में 'हाइब्रिड' आतंकवादियों की उपस्थिति की वजह से सुरक्षा बलों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हाईब्रिड आतंकवादी की बात करें तो ये पेशेवर आतंकी नहीं होते हैं, जिसकी वजह से सुरक्षा बलों के पास इनकी जानकारी नहीं होती है, लेकिन ऐसे व्यक्ति जो आतंकवादी हमले को अंजाम देने के लिए पर्याप्त रूप से कट्टरपंथी होते हैं और फिर नियमित जीवन में वापस आ जाते हैं।
एक न्यूज एजेंसी ने सुरक्षा एजेंसियों और अधिकारियों की ओर से कहा है कि पिछले कुछ हफ्तों में श्रीनगर शहर सहित घाटी में सॉफ्ट टारगेट पर हमलों में तेजी देखी गई है। अधिकांश घटनाओं को ऐसे युवाओं ने अंजाम दिया है, जो सुरक्षाबलों के पास आतंकवादियों के रूप में सूचीबद्ध नहीं हैं। आतंकवाद के इस नए चलन ने सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किल में डाल दिया है क्योंकि हाइब्रिड या फिर अंशकालिक आतंकियों को ट्रैक करना और उनको चुनौती देना काफी मुश्किल काम है।
सुरक्षा प्रतिष्ठान के अधिकारियों ने कहा कि 'हाइब्रिड' आतंकवादी ठीक वैसे ही होते हैं जैसे सामने वाले दरवाजे पर एक लड़का हो जिसे आतंकवादी घटना को अंजाम देने के लिए कट्टरपंथियों द्वारा तैयार किया गया हो और उसे स्टैंडबाय मोड पर रखा गया हो। अधिकारियों ने कहा कि हाइब्रिड आतंकी दिए गए कार्य को करता है औऱ फिर अपने मालिक से अगले कार्य की प्रतीक्षा करता है। बीच में, वह अपने सामान्य काम पर वापस चला जाता है। अधिकारियों ने कहा कि इस नए ट्रेंड के पीछे पाकिस्तान और उसकी जासूसी वाली एजेंसी आईएसआई का हाथ है। एक आंकड़े के अनुसार कश्मीर घाटी में 29 सालों के दौरान करीब 46000 लोगों की जान गई। इसमें 24000 आतंकवादी भी शामिल हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों से खिलाफ सुरक्षाबलों की मजबूती के चलते कश्मीर में आतंकवाद की कमर टूट गई है। पिछले 10 सालों के दरमियान घाटी में सबसे कम यानी सिर्फ 217 आतंकवादी चिह्नित किए गए हैं।