नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संसद की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि अहंकार एवं प्रपंच में डूबे विपक्ष की मनमानी और लोकतंत्र के अपमान किये जाने के कारण सरकारी खजाने को 130 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इससे पता चलता है कि उनके दिलोदिमाग में राष्ट्रीय हित का कोई स्थान नहीं है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद ने यहां पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में संसद की कार्यवाही न चलने देने के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर जम कर प्रहार किया।
अतीत में झांकना आवश्यक
कांग्रेस द्वारा संसदीय व्यवस्था और संसद के सम्मान पर कुठाराघात 1975 में तब चरम पर पहुंच गया था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की कुर्सी अदालत के निर्णय से खतरे में थी लेकिन लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्वस्त करते हुए गाँधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था।
संसदीय लोकाचार ही नहीं
1947 के बाद से सबसे लंबे समय तक देश पर शासन करने के बावजूद यह विडंबना ही है कि कांग्रेस के आचरण में संसदीय लोकाचार और कार्यवाही के लिए सम्मान बिलकुल भी नहीं है। कारण यह है कि कांग्रेस एक निजी कंपनी की तरह अधिक कार्य कर रही है।
व्यक्तिगत होना ठीक नहीं
हमारे संसदीय इतिहास ने एक अलग पैटर्न देखा है- जब तक एक राजवंश के हितों की रक्षा की जाती है, तब तक संसद को काम करने की ‘अनुमति’ दी जाती है - यही कांग्रेस की कार्यसंस्कृति है। संसदीय राजनीति संवाद के आधार पर चलती है - राजनीतिक दुश्मनी का मतलब कभी भी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं था लेकिन कांग्रेस ने उस भावना का कभी पालन ही नहीं किया। 1999 में, कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव में एक अनैतिक कदम पर जोर दिया।