मेरठ।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमित लोग हैप्पी हाइपोक्सिया नामक जानलेवा बीमारी के शिकार हो रहे हैं। ये एक ऐसी बीमारी है जिसकी चपेट में रहते हुए मरीज को पता भी नहीं चलता और अचानक से उसकी जान जोखिम में आ जाती है। यह चुपके से ऑक्सीजन लेवल गिराकर मरीज को मौत की नींद सुला देती है।
अब तक सुना था कि कोरोना का संक्रमण फेफड़ों को खराब कर देता है, लेकिन असल में ये वायरस हमारे पूरे शरीर को खोखला कर रहा है। इसकी चपेट में आने के बाद किसी के शरीर में खून के थक्के बनने शुरू हो गए हैं तो कोई डायबिटीज का मरीज बन गया। किसी में ब्लैक फंगल इंफेक्शन के लक्षण दिखने लगे तो कोई अपनी गंध और स्वाद खो बैठा। अब एक और लक्षण सामने आया है जिसका नाम है ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’। कहने को तो इस बीमारी के नाम के आगे हैप्पी लगा है, लेकिन ये इतनी खतरनाक है कि किसी भी व्यक्ति की जान ले सकती है। कोरोना से अधिकांश मरीजों की मौत ऑक्सीजन स्तर गिरने के कारण हुई है। सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरोत्तम तोमर ने बताया कि ये बीमारी कोविड मरीज को हार्ट अटैक जैसा झटका देती है और उसे मौत के मुंह में ढकेल देती है।
कोविड मरीज को इस बात का आभास नहीं होता कि वो कब इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गया। कोरोना मरीजों में शुरुआती स्तर पर कोई लक्षण नहीं दिखता। यही वजह है कि हैप्पी हाइपोक्सिया को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जा रहा है। हैप्पी हाइपोक्सिया की चपेट में मरीज तब आता है जब उसके खून में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है। इसमें मरीज का ऑक्सीजन लेवल 30 से 50 फीसदी तक या इससे भी ज्यादा नीचे गिर जाता है, लेकिन पीड़ित को पता भी नहीं चल पाता। मेडिकल के कोविड ब्लॉक के प्रभारी डॉ. धीरज राज ने बताया कि कोरोना मरीज रहते हुए भी उनमें शुरुआती स्तर पर कोई लक्षण नहीं दिखते या फिर माइल्ड सिम्टम्स होते हैं। वे एक दम हैप्पी नजर आते हैं, लेकिन अचानक से उनका ऑक्सीजन स्तर कम होने लगता है, जो जानलेवा साबित होने लगता है।