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प्रदेश सरकार गन्ना किसानों के आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध

  • 26-Jun-2020

*गन्ना किसानों को घर बैठे मिल रही जरूरी समस्त सूचनाएं मेरठ, प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार कोरोना एवं लॉकडाउन के बावजूद गन्ना किसानों के हित में लगातार कार्य कर रही है। सरकार ने इस पर विशेष बल दिया कि किसानों एवं गन्ना किसानों को आर्थिक लाभ होता रहे। उनको किसी प्रकार की परेशानी न होने पाये। प्रदेश सरकार ने गन्ने की बसंतकालीन गन्ना बुआई माह फरवरी से अप्रैल तक को दृष्टिगत रखते हुए किसानों को सभी आवश्यक निवेशों की उपलब्धता कराई है। सरकार ने सभी चीनी मिलों को निर्देश दिये कि वे इच्छित किसानों को उनकी सहमति के आधार पर ब्याजमुक्त ऋण पर गन्ना बीज, उर्वरक, कीटनाशक एवं अन्य निवेश उपलब्ध कराते हुए अधिक से अधिक किसानों के खेतों पर गन्ना बुआई कराये। चीनी मिलों द्वारा भी किसानों को गन्ना बुआई में सहयोग दिया गया। धनाभाव के कारण किसी गन्ना किसान की बुआई प्रभावित नहीं हुई है। सरकार ने लाॅकडाउन के दौरान भी गन्ना किसानों को आर्थिक समस्या नहीं आने दी। कोविड-19 के कारण लॅकडाउन की अवधि में किसानों के हित में प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को चलाने का निर्णय लिया। इसके लिए सभी चीनी मिलों में मिल यार्डस तथा क्रय केन्द्रों पर पानी की व्यवस्था कर साबुन तथा सेनिटाइजर रखे गये एवं किसानों को सोशल डिस्टेंसिंग तथा हैंडवाश की जागरूकता लाते हुए विषम परिस्थिति में भी प्रदेश की 119 चीनी मिलों को संचालित रखा। प्रदेश के सभी गन्ना किसानों के गन्नों की पेराई की गई। 94 चीनी मिले समस्त गन्ना की पेराई कर बन्द हो गई। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से सभी गन्ना किसानों के गन्ना, संबंधित चीनी मिलों द्वारा पेराई की गई, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ हुआ। वर्तमान पेराई सत्र में लॉकडाउन के बावजूद 11015.07 लाख कुन्तल से अधिक गन्ने की पेराई की गई, जो गत वर्ष से लगभग 772 लाख कुन्तल अधिक है। प्रदेश सरकार ने वर्तमान पेराई सत्र में अब तक 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कराते हुए लाभान्वित कराया है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 99 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को किया गया है। प्रदेश सरकार ने सहकारी चीनी मिलों में तकनीकी अपग्रेडेशन करते हुए औसत एक प्रतिशत चीनी परता में वृद्धि भी की है। कार्य क्षमता में सुधार के फलस्वरूप अतिरिक्त आय अर्जित होने का लाभ गन्ना मूल्य के त्वरित भुगतान के रूप में किसानों को प्राप्त हो रहा है। सहकारी गन्ना समितियों के पर्ची निर्गमन व अन्य कार्यों में शुचिता तथा पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से विकसित की गई ईआरपी व्यवस्था लॉकडाउन की अवधि में गन्ना किसानों के लिए मददगार साबित हो रही है। इस व्यवस्था में गन्ना कृषकों को समस्त सूचनायें ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से घर बैठे मिल रही है। ERP के तहत प्रदेश के 40.42 लाख गन्ना आपूर्तिकर्ता किसानों को 5.75 करोड़ गन्ना पर्ची जारी की गई है, जिसमें 09 लाख छोटे किसान हैं, जिन्हें लगभग 25 लाख पर्ची जारी की गई है। कोरोना वायरस के फैलने से देश और प्रदेश में सेनिटाइजर की मांग बढ़ गई। कोविड-19 के प्रभावी रोकथाम के लिए सेनिटाइजर की अति आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को सेनिटाइजर उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जिसके फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में पहली बार 27 चीनी मिलों द्वारा लॉकडाउन की अवधि के दौरान 02 लाख लीटर से अधिक सैनिटाइजर प्रतिदिन बनाने की क्षमता प्राप्त करते हुए सैनिटाइजर उत्पादन का कार्य अनवरत कर रहे हैं। गन्ना विकास विभाग ने लॉकडाउन के दौरान चीनी मिलों के सहयोग से कोरोना महामारी के प्रसार की रोकथाम के लिए 3066 गांवों, 180 कस्बों तथा 2152 सार्वजनिक कार्यालयों को मिलाकर कुल 5,398 जगहों पर सेनिटाइजेशन कराया जा चुका है। प्रदेश में सरकार ने सेनिटाइजर की कमी नहीं होने दी साथ ही दुकानों के माध्यम से सेनिटाइजर कम मूल्य में जनता को मुहैया कराया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में उत्पादित सेनिटाइजर अन्य प्रदेशों को भी आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा लाॅडाउन की अवधि में प्रदेश की चीनी मिलों और गन्ना किसानों के परिवहन तथा आपूर्ति से संबंधित समस्त समस्याओं का समाधान करते हुए किसानों की आय में वृद्धि की गई। गन्ना किसानों के हित में प्रदेश सरकार द्वारा उठाये गये ठोस कदमों से किसान खुश हैं।