मेरठ, लॉकडाउन में जहां प्रदेश सरकार हर किसी को रोजगार देने की बात कह रही है। वहीं 181 हेल्प लाइन में काम करने वाली महिलाओं को लॉकडाउन में नौकरी छोड़ घर बैठने को कहा जा रहा है। इतना ही नहीं एक साल से इनको मानदेय भी नहीं दिया गया। जिसके चलते 181 में काम करने वाली महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मेरठ की महिला हेल्प लाइन 181 के केन्द्र पर 3 महिलाएं सुगमकर्ता के पद पर संविदा पर तैनात हैं। जिनको बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यूपी के सभी जिलों से हटाया जा रहा है। जो महिला कर्मचारी 181 महिला हेल्पलाइन में काम करते हुए पीड़ित महिलाओं को कानूनी मदद करती थीं। आज वह खुद ही मदद की गुहार लगा रही हैं। क्योंकि इन्हे इनकी फर्म के द्वारा लॉकडाउन में नौकरी से हटाया जा रहा है। इतना ही नहीं इन सभी की माने तो इनको एक साल से मानदेय भी नहीं दिया गया है। जिसके कारण इनके सामने परेशानी खड़ी हो गई है।दरअसल महिलाओं की सहायता के लिए 181 हेल्पलाइन उत्तर प्रदेश में चलाई जाती है। और इसमे जीवीके नाम की फर्म ने हर जिले में सुगमकर्ता के पद पर महिलाओं को तैनात किया इन्हें संविदा के तहत तैनाती दी गई। मेरठ की आशा ज्योति केंद्र में 181 महिला हेल्पलाइन में 3 महिलाएं सुगमकर्ता के पद पर तैनात हैं। इन महिला कर्मचारियों की मानें तो अब लॉकडाउन के दौरान उनको नौकरी से हटाया जा रहा है। इन महिला कर्मचारियों की माने तो इनको पिछले एक साल से मानदेय का भी भुगतान नहीं किया गया है। जिसके चलते इन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं ने बताया कि जब भी फर्म से मानदेय की बात की गई तो कहा गया जल्द ही आप का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन उनका भुगतान नहीं किया गया। इस सब के बावजूद अब इन्हें लॉकडाउन के दौरान नौकरी से हटाया जा रहा है।