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भाजपा, कांग्रेस समेत आठ दलों पर जुर्माना

  • 11-Aug-2021

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। भाजपा और कांग्रेस समेत 8 राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है। अपने-अपने उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों को सार्वजनिक नहीं करने के लिए देश की शीर्ष अदालत ने यह कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में बिहार चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को सार्वजनिक करने के अदालत के निर्देशों का पालन न करने के लिए भाजपा और कांग्रेस पर एक-एक लाख और राकांपा और सीपीएम पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बता दें कि कांग्रेस, भाजपा, एनसीपी और सीपीएम सहित कई दलों ने बिहार चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के उम्मीदवारों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों के बारे में सार्वजनिक घोषणा नहीं की थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इन पार्टियों के खिलाफ यह कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि पार्टियों को यह घोषणा करना होगा कि उनकी पार्टी के कितने उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। राजनीति में अपराधीकरण खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कई अहम टिप्पणी कीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत ने कई बार कानून बनाने वालों को आग्रह किया कि वे नींद से जगें और राजनीति में अपराधीकरण रोकने के लिए कदम उठाएं। लेकिन, वे लंबी नींद में सोए हुए हैं। शीर्ष न्‍यायालय ने कहा कि कोर्ट की तमाम अपीलें इन तक नहीं पहुंच पाई हैं। राजनीतिक पार्टियां अपनी नींद से जगने को तैयार नहीं हैं। कोर्ट के हाथ बंधे हैं। यह विधायिका का काम है। हम सिर्फ अपील कर सकते हैं। उम्मीद है कि ये लोग नींद से जगेंगे और राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए बड़ी सर्जरी करेंगे। किस दल पर कितना जुर्माना सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए भाजपा, कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, बसपा, जदयू, राजद, आरएसएलपी, लोजपा पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है। इसके अलावा सीपीएम और रांकपा पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी प्रकाशित करें। इसके मुताबिक, अब हर पार्टी की वेबसाइट के होमपेज पर अब अनिवार्य रूप से एक कॉलम होगा, जिसमें ‘आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार’ लिखा होगा। इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को एक समर्पित मोबाइल ऐप्लीकेशन (मोबाइल एप) बनाने का भी निर्देश दिया है, जिसमें उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी शामिल हो।