मेरठ, ग्रीन इंडिया
स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सरदार पटेल सुभारती लॉ कॉलिज के विद्यार्थियों ने चौधरी चरण सिंह जिला कारागार एवं राजकीय सम्प्रेक्षण गृह मेरठ का भ्रमण किया। सुभारती लॉ कॉलिज के निदेशक व पूर्व न्यायामूर्ति इलाहाबाद हाईकोटए राजेश चन्द्रा के निर्देशन में यह शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
विद्यार्थियों के दल को रवाना करते हुए कॉलिज के डीन एवं प्राचार्य प्रो. वैभव गोयल भारतीय ने कहा कि जेल व्यवस्था विधि व्यवस्था का ही अंग है। हमारी जेल सुधार गृह के रूप में कार्य करें तो यह भी समाज सुधार का एक अंग होगा। कैदियों के भी मानवाधिकार सुनिश्चित हैं वे भी समाज की मुख्य धारा में शामिल है। विधि छात्रों के लिये जेल भ्रमण उनकी विधि शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सर्वप्रथम विद्यार्थी राजकीय सम्प्रेक्षण गृह में भ्रमण के लिए पहुंचे, जिसमें सम्प्रेक्षण गृह के सहायक अधीक्षक कुलदीप सिंह ने सम्प्रेक्षण गृह की व्यवस्था एवं वहां के प्रशासन से अवगत कराया साथ ही बैरक व शिक्षण कक्ष आदि का भ्रमण भी कराया। उन्होंने बताया कि सम्प्रेक्षण गृह में मूल रूप से किशोरों को शिक्षा, नैतिक आचरण व अनुशासित बनाया जाता है ताकि यहां से जाने के बाद किशोर समाज में आम जीवन व्यतीत कर सकें। सम्प्रेक्षण गृह के शिक्षक अमरकांत ने बताया कि वह किशोरां को अच्छा आचरण व संस्कारों के साथ शिक्षा दे रहे हैं ताकि बाहर जाने के बाद किशोर शिक्षित व संस्कारवान बन कर समाज में रह सकें। विद्यार्थी जेल की साफ सफाई व अन्य व्यवस्थाओं से काफी प्रभावित हुए। चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में पहुंचने पर छात्रों ने जेलर राजेन्द्र सिंह से अनेक सवाल किये कि क्या बंदियों को सही समय पर पौष्टिक भोजन मिलता है। बंदी के बीमार होने पर इलाज की क्या व्यवस्था है। चौधरी चरण सिंह जिला कारागार की क्षमता कितने बंदियों की है और जेल में फिलहाल कितने बंदी हैं। जेलर राजेन्द्र सिंह ने कहा कि जेल में बंदियों की जीवनशैली सामान्य है वे सिर्फ दुनिया से कटे रहते हैं। छात्रों ने जेल की सुरक्षा व्यवस्थाए बंदियों के लिये खेलकूद की व्यवस्था, इलाज की व्यवस्था, लाईब्रेरी, मेडीटेशन कक्ष, वीडियो कान्फ्रेसिंग कक्ष व शैक्षिक गतिविधियों की जानकारी ली। इस गतिविधि के माध्यम से विधि के छात्रों ने बंदियों की दैनिक गतिविधियों का अध्ययन किया और यह भी जाना कि बंदी चित्रकलाए फर्नीचर बनाने व सिलाई, बुनाई आदि कार्यो में परांगत है और उनके किये कार्य पर उन्हें वेतन भी दिया जाता है। एक छात्र ने एक बंदी से सवाल किया कि उसने क्या जुर्म किया है। बंदी ने कहा कि चोरी। क्या वह दोबारा ऐसा जुर्म करेगा तो बंदी ने कहा कि मुझे यहां से बाहर निकलवाइये ऐसा मैं दोबारा नहीं करूँगा। छात्रों ने जाना कि बंदियों के लिये सरकारी माध्यम और एनण्जीण्ओण् के माध्यम से शैक्षिक गतिविधियाँ चलायी जाती हैं व कम्प्यूटर की शिक्षा भी उनके लिये उपलब्ध है।