ग्रीन इंडिया
मेरठ। वेस्ट यूपी में कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के बीच किसान खेतों में खड़ी अपनी फसल जोतकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मेरठ जिले के रोहटा गांव में एक किसान ने अपनी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। उसका कहना है कि सरकार को ये तीनों कानून वापस लेने होंगे। जब तक कानून वापस नहीं होंगे, किसानों का आंदोलन
खत्म नहीं होगा।
सहारनपुर जिले के बेहट गांव में ढाबा माजरी के पांच किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में अपनी 21 बीघा भूमि पर खड़ी गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। गागलहेड़ी के नन्हेड़ा गांव में भी फसल का उचित दाम नहीं मिलने से नाराज किसान ने गोभी की खड़ी फसल जोत दी। कर्ज में डूबे किसान ने आत्मदाह की चेतावनी भी दी है। किसान संजय ने पांच बीघा, अनिल ने सात बीघा व आदित्य, संजय पुत्र दिलेराम ने तीन-तीन बीघा जमीन में खड़ी गेहूं की फसल ट्रैक्टर से नष्ट कर दी है। उनका आरोप है कि सरकार की नीतियों और कृषि कानूनों से किसान बर्बादी के कगार पर है। उधर, गागलहेड़ी के नन्हेड़ा वेद बेगमपुर गांव में गुरुवार सुबह आफताब पुत्र शकूर ने सात बीघा गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। चरथावल सहकारी समिति के पूर्व सभापति प्रवीण त्यागी का कहना था कि केंद्र सरकार किसानों पर थोपे गए कानूनों को वापस ले और एमएसपी पर खरीद की गारंटी के लिए कानून बनाया जाए। बिजनौर के हल्दौर में गांव भरैरा निवासी अतर सिंह ने कृषि सुधार कानूनों का विरोध जताते हुए पांच बीघा गेहूं की फसल जोत दी। उनका कहना है कि कृषि कानूनों से किसानों को बहुत नुकसान होगा। अतर सिंह ने गुरुवार को अपने पांच बीघा गेहूं की फसल को जोत दिया। उन्होंने बताया कि उनके पास 50 बीघा जमीन है। 16 बीघा जमीन में उन्होंने गेहूं बोया था। सरकार कृषि कानूनों से किसानों की जमीन को पूंजीपतियों के यहां पर गिरवी रखना चाहती है।