मेरठ। राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित वेंक्टेश्वरा संस्थान में आयोजित मानद दीक्षांत समारोह में प्रख्यात राष्ट्र कवि डाॅ. दिनेश रघुवंशी समेत तीन नामचीन हस्तियों को मानद पीएचडी उपाधि से सम्मानित/ विभूषित किया गया। इसके साथ ही प्रख्यात कवि दिनेश रघुवंशी ने एकल काव्य पाठय’’ द्वारा उपस्थित जनसमूह को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
वेंक्टेश्वरा संस्थान के डाॅ. सीवी रमन सभागार में आयोजित मानद उपाधि समारोह का शुभारम्भ वेंक्टेश्वरा समूह के चेयरमैन डाॅ. सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डाॅ. राजीव त्यागी, कुलपति प्रो. पीके भारती आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सन्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया। अपने सम्बोधन में समूह चेयरमैन डाॅ. सुधीर गिरि ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों की मदद करने पर्यावरण संरक्षण एवं मनोरंजन, खेलों केा बढावा देने एवं महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले आज इन तीन हस्तियों को सम्मानित करते हुए विश्वविद्यालय गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय हमेशा देश व समाज के लिए निस्वार्थ भाव से उल्लेखनीय काम करने वालों को मंच से सम्मानित करता आया है।
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति डाॅ. राजीव त्यागी ने मानद उपाधियो से सम्मानित किये जा रहे तीनों अतिथियों द्वारा देश एवं समाज के लिए उनके द्वारा किये गये शानदार कार्यो का ब्योरा देते हुए कुलसचिव एवं कुलपति की अनुशंसा पर कुलाधिपति डाॅ. सुधीर गिरि के साथ उनको पीएचडी की मानद उपाधि से विभूषित किया।
मानद दीक्षांत समारोह के बाद एकल काव्य पाठय का धमाकेदार आगाज राष्ट्रकवि दिनेश रघुवंशी ने कुछ ऐसे किया कि-
मेरी आँखों का तारा ही मुझे आँखे दिखाता है, जिसे हरेक खुशी दे दी।
जिसे हरेक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है, सुनाकर माँ की पीड़ा को बयां किया।।
देश के किसानों एवं जवानों की पीड़ा को यूं व्यक्त किया, हमेशा तन गया आगे, जो तोपों के दहानों के।
कोई कीमत नहीं होती क्या प्राणो ंकी जवानों के, बड़े लोगों की औलादंे तो कैण्डिल मार्च करती हैं, जो अपने प्राण देते हंै, वो बेटे हैं किसानो के, सीमा पर डटे जवान के लिए देशभक्ति क्या होती है, कहा।।
मैं अपने हर तराने में हमेशा गाऊँगा तुझको, वहां सीमा पे आप साथ लेकर जाऊँगा तुझको, है तन में साँस जबतक भी, तिरंगे है कसम तेरी, लिपटकर आऊँगा तुझमंे या फिर लहराऊँगा तुझको।