ग्रीन इंडिया
बुलंदशहर। कृषि विज्ञान केंद्र पर फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। मंगलवार को कार्यशाला का दूसरा दिन रहा। इसमें विशेषज्ञों ने किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए प्रेरित किया। इससे होने वाली हानियों की जानकारी देकर जागरूक किया।
कार्यशाला का शुभारंभ कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा। लक्ष्मीकांत ने किया। उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। डा। शिव सिंह ने बताया कि किसानों को गन्ने की पताई और धान की पुआल में आग नहीं लगानी चाहिए। इनका खेत में ही समुचित इस्तेमाल करके पैदावार बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। डा। रितु सिंह ने बताया कि फसल अवशेषों को खेत में डी कंपोस्ट करने के लिए उन्हें छोटे-छोट टुकड़ों में काट देना चाहिए। इससे फसल अवशेष सड़ गलकर खेत में खाद बन जाएंगे।
ओमप्रकाश ने विभागीय योजनाओं पर प्रकाश डाला। डा। मनोज कुमार ने फसल अवशेष प्रबंधन के उपयोगी यंत्रों की जानकारी दी। इस दौरान 25 किसानों सहित कृषि मौसम वैज्ञानिक डा। रामानंद पटेल, डा। विवेक राज, कीर्तिमणि त्रिपाठी, राजीव सिरोही, जईम खान, राजकुमार गर्ग, शिवकुमार, हरीश कुमार आदि मौजूद रहे।
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने रखे विचार
खुर्जा स्थित मधुपुरा इंटर कॉलेज में सोमवार को कृषि कानूनों के विरोध में पंचायत आयोजित की गई। जिसमें किसानों ने अपने विचार रखे और सरकार से कानून को वापस लेने की मांग की। गांव मधुपुरा स्थित इंटर कालेज में आयोजित पंचायत में डीपी सिंह ने कहा कि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। उन्होनें किसानों से किसी भी हाल में कानूनों को लागू नहीं होने दिया जाने का आह्वान किया।
वहीं चंद्रपाल सिंह ने कहा कि जो किसान भाई बार्डर पर रहकर केंद्र सरकार से टक्कर लेते हुए किसानों की लड़ाई लड़ रहे है, उन सभी को सहयोग करना हमारा फर्ज है। किसान नेताओं की मदद करने की अपील सभी किसानों से की गई। इस दौरान दस्तूरा, बीछट, महमदपुर, हसनपुर लडूकी, आदि गांवों से किसान पंचायत में पहुंचे। इसमें मेघराज सोंलकी, मीरपाल सिंह, अजीत सिंह, श्यौदान सिंह, देवेंद्र, रनवीर, सरदार सिंह, हरपाल सिंह, जयराम सिंह आदि रहे।