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मरीजों में आ रहे बोन डेथ के मामले

  • 08-Jul-2021

नई दिल्ली। कोरोना से ठीक हुए मरीजों में अब बोन डेथ नाम की नई समस्या देखने को मिल रही है। कोरोना से ठीक होने के बाद मुंबई और दिल्ली में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के कुछ मरीज सामने आए हैं। कोविड-19 से उबरने वाले कई मरीजों ने जोड़ों के दर्द की शिकायत की है, जिससे डॉक्टरों को चिंता बढ़ गई है। यह एक नया खतरा सामने आया है। बोन डेथ के मामलों में मरीज को जोड़ो में दर्द महसूस होता है। म्यूकोर्मिकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बाद अब बोन डेथ नाम की यह विनाशकारी समस्या कोरोना से ठीक हुए मरीजों में देखी जा रही है। हालांकि इसके बारे में कोई सरकारी डेटा नहीं है, लेकिन मुंबई और दिल्ली के अस्पतालों ने ऐसे कुछ मामलों की पुष्टि की है। बोन डेथ या एवस्कुलर नेक्रोसिस क्या है असल में जब किसी भी हड्डी में खून की सप्लाई खत्म हो जाती है तो उसमें ऑक्सिजन की कमी की वजह से बोन सेल की डेथ हो जाती है, यानी हड्डी की कोशिकाएं मरने लगती हैं। जैसा कि शरीर के किसी भी और अंग में होता है। इसी कारण उस जगह पर या उस हड्डी के आसपास दर्द महसूस होने लगता है। कई मामलों में हिलने-डुलने में दिक्कत आती है और जॉइंट्स खराब हो जाते हैं। बोन डेथ होने के पीछे का कारण क्या है? डॉक्टरों के मुताबिक कोविड-19 के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल हड्डी के इस अस्वाभाविक नुकसान के पीछे का कारण है। स्टेरॉयड्स हड्डियों को नरम बनाते हैं और फिर कार्टिलेज से खून की सप्लाई कम हो जाती है। जबकि एवस्कुलर नेक्रोसिस के होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अब तक जिन मामलों की रिपोर्ट की जा रही है, उनके होने के पीछ स्टेरॉयड ही बड़ा कारण बताए जा रहे हैं। इसके लक्षणों में बताया गया है कि लगातार कूल्हे का दर्द, जोड़ों का दर्द इसका प्रमुख लक्षण है। यह कब हो सकता है? यह कोरोना से ठीक होने के तुरंत बाद नहीं होगा। डॉक्टरों ने कहा है कि इसमें 3 महीने से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है।