मेरठ, ग्रीइंडिया
कमला नगर स्थित जैन मंदिर में प्रवचन करते हुए मुनि श्री वीर सागर जी महाराज ने कहा कि हर व्यक्ति आज किसी न किसी परेशानी में घिरा रहता है। वह भगवान के सामने अपने दुख दूर करने की प्रार्थना करता है। महाराज श्री ने बताया कि व्यक्ति जो कर्म करता है उसका फल तो उसे भोगना ही पड़ता है, चाहे सुखी होकर भोगे या दुखी होकर। इसलिए भक्त को भगवान से यह प्रार्थना करना चाहिए कि हे भगवान मुझे इन दुखों को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
मुनि श्री ने बताया कि यह दुख तो हमेशा आते जाते रहेंगे। सूर्य का उदय होता है फिर शाम को अस्त होता है। फिर चंद्रमा का उदय होता है, फिर वह अस्त होता है। इसके बाद पुनः सूर्य का उदय होता है। इस तरीके से जैसे चांद सूर्य का यह चक्र चलता है, इसी तरह सुख-दुख का भी चक्र चलता रहता है। जब व्यक्ति उम्मीद कर लेता है कि उसका रास्ता सीधा होगा और उसे टेढ़े-मेढ़े रास्ते मिलते हैं तो परेशान होता है। जो व्यक्ति यह सोच लेता है कि टेढ़े-मेढ़े रास्ते तो होते ही हैं हमें तो चलते जाना है, ऐसा व्यक्ति जिंदगी में परेशान नहीं होता है। मुनि श्री ने बताया कि जब आप परेशान हों तो सीता जैसी महान नारी को याद करें, पांडवों के कष्टों को याद करें। उनके सामने तो हमारे कष्ट कुछ भी नहीं हैं। हम वस्तु स्वरूप को समझें। हम कर्म सिद्धांत को समझें तो हम अपने जीवन को बहुत आसान सरल बना सकते हैं। हर वस्तु हर पदार्थ परिवर्तनशील है। यह बात यदि हम समझ लें, अपने श्रद्धा में ले आएं तो हमें जीवन में कभी भी कोई कष्ट महसूस नहीं होगा। दोपहर में मुनि श्री वीर सागर श्री विशाल सागर, श्री धवल सागर जी ने कमला नगर से सदर के लिए प्रस्थान किया। सदर जैन समाज ने धूमधाम से महाराज जी की अगवानी की जगह जगह आरती उतारी गई।
मुनि प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि महाराज का बिहार हस्तिनापुर की तरफ चल रहा है, जहां पर एक भव्य जिनालय का निर्माण प्रस्तावित है। जिसका शिलान्यास 2 मार्च को होना है।