नई दिल्ली।
मोदी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी कर ली है। इसमें राजनीतिक समीकरण के लिहाज से जातीय और क्षेत्रीय संतुलन तो होगा ही, साथ ही युवा, अनुभवी, शिक्षित और ब्यूरोक्रेट व टेक्नोक्रेट भी पसंद में शामिल होंगे। यानी जातीय समीकरण के खांचे में भी पूर्व आइएएस, आइएफएस, इंजीनियर आदि कैबिनेट का हिस्सा बनेंगे। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। बताया जा रहा है कि संभवत: बुधवार शाम को कैबिनेट विस्तार किया जाएगा।
इस विस्तार के बाद केंद्र सरकार में दो दर्जन से ज्यादा मंत्री ओबीसी होंगे। युवाओं का भी प्रतिनिधित्व बढ़ेगा, जिससे मंत्रिमंडल के सदस्यों की औसत आयु काफी कम हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट विस्तार का खाका तैयार हो गया है। उत्तर प्रदेश और बिहार को बड़ा हिस्सा मिल सकता है। दरअसल उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में अगले साल की शुरुआत में ही चुनाव है। दूसरी ओर, बिहार से सहयोगी दल जदयू को भी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देना है। इस विस्तार में अनुभव को सबसे ऊपर रखने की बात कही जा रही है। ऐसे में राज्यों में बतौर मुख्यमंत्री जिम्मेदारी संभाल चुके और राज्य सरकारों में लंबे समय तक मंत्री पद संभाल चुके नेता प्राथमिकता में हैं। कुछ पूर्व अफसर भी इसमें दिख सकते हैं। दरअसल, पीएम मोदी ऐसे लोगों को आगे लाना चाहते हैं, जो विकास कार्यो को तेज कर सकें। कुछ युवा चेहरे भी शामिल होंगे। यह तय है कि मंत्रिमंडल में मुख्यत: शिक्षित लोगों को ही जगह मिलेगी। मोदी सरकार की योजनाओं और राजनीतिक दांव के केंद्र में अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी शुरू से रहे हैं।