चंडीगढ़।
हरियाणा व दिल्ली की सीमा पर पिछले छह माह से धरना दे रहे संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की नई रणनीति कांग्रेस के लिए घातक और मुसीबत साबित हो रही है।
अब तक राजनीतिक गलियारों में स्पष्ट संदेश रहा है कि किसान जत्थेबंदियों के इस आंदोलन को सबसे अधिक कांग्रेस का समर्थन हासिल है। ऐसा होने के बावजूद संयुक्त किसान मोर्चा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को तानाशाह शासक बताते हुए 26 जून को इमर्जेंसी (आपातकाल) की वर्षगांठ पर पूरे देश में प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इसका हरियाणा के कांग्रेस नेताओं ने विरोध किया है।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में संयुक्त किसान मोर्चा की इस रणनीति को लेकर खासा आक्रोश है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव और पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा समेत कई नेता इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं तो कुछ चुप्पी साधे हुए हैं। कांग्रेस के नेताओं को इंदिरा गांधी के विरोध की रणनीति काफी बेचैन कर रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत भाजपा के कई बड़े नेता खुले तौर पर कह चुके हैं कि किसान संगठनों के आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन हासिल है। ऐसे में 26 जून को होने वाले प्रदर्शन को लेकर भी किसान जत्थेबंदियों में दोफाड़ हो गई है। किसान संगठन पहले भी दोफाड़ हो चुके हैं। दिल्ली कूच का मामला हो या फिर सड़कें रोकने की रणनीति, भाजपा की विचारधारा के किसान संगठनों ने अक्सर इसका विरोध किया है। अब ऐसे संगठन इस आंदोलन में अपनी नाममात्र की उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं।