मेरठ।
शातिर सुशील मूंछ और भूपेंद्र बाफर के बीच फिर गैंगवार की आशंका से पुलिस के होश उड़ गए हैं। पुुलिस अपराधियों और उनके गुर्गों की तलाश में है। एडीजी ने पुलिस कप्तानों को निर्देश दिए हैं कि अपराधियों की निगरानी करें और थाना रजिस्टर में हाजिरी लगवाएं।
मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली और बुलंदशहर समेत कई जिलों में पंचायत चुनाव में अपराधियों ने अपना दांव लगाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस की कड़ी निगरानी के कारण कामयाबी नहीं मिली। वहीं, पांच महीने पहले सुशील मूंछ और दो महीने पहले भूपेंद्र बाफर जेल से जमानत पर बाहर आ गए थे। जिस कारण पश्चिम के जिलों में फिर से गैंगवार के आसार है। जेल से छूटते ही दोनों भूमिगत हो गए हैं। जमानत के बाद दोनों अपराधी घर तक भी नहीं पहुंचे, बल्कि मेरठ और मुजफ्फरनगर से भी कहीं दूर छिपे हैं। अब गैंगवार के अंदेशे का इनपुट मिलने के बाद पुलिस अधिकारियों ने फिर से निगरानी बढ़ाई है। दोनों के कई गुर्गे भी जेल से बाहर आ गए हैं। वहीं जुलाई 2019 में मूंछ को मरवाने के लिए बाफर ने दरोगा की हत्या कराकर शातिर अपराधी रोहित सांडू़ को पुलिस कस्टडी से छुड़वाया था। चौंकाने वाली बात यह है कि बाफर को मेरठ पुलिस ने दो गनर दिए थे, दोनों को ही बाफर के कारनामे की भनक तक नहीं लग सकी थी। चित्रकूट की जेल में मुकीम काला की हत्या के बाद उसके साथी दूसरे गैंग से जुड़ रहे हैं। कईं बदमाश सुशील मूंछ, भूपेंद्र बाफर, योगेश भदौड़ा, ऊधम सिंह, संजीव जीवा समेत शातिर अपराधियों के गैंग में शामिल हो गए हैं। गाजियाबाद में डकैती की वारदात भी पुराने अपराधियों द्वारा करनी बताई गई है। इस मामले में भी पुलिस गहनता से जांच करने में लगी है। राजीव सभरवाल, एडीजी मेरठ जोन का कहना है कि जमानत पर बाहर आए अपराधियों की निगरानी कराई जा रही है। अब फिर कप्तानों को निर्देश दिए हैं कि शातिर अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखें।