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देश में बौद्धधर्म को पल्लवित कर रहा सुभारती विश्वविद्यालय

  • 15-Dec-2019

मेरठ, ग्रीन इंडिया स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि मण्डल ने वियतनाम में वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय के साथ शौक्षिक आदान प्रदान कार्यक्रम में शिरकत की। वियतनाम के होचीमिन शहर में स्थित वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय में आयोजित भव्य कार्यक्रम में सुभारती विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती स्तुति नारायण कक्कड़ एवं सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो का भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सुभारती फाईन आर्ट कॉलिज द्वारा अध्यात्म के विषय पर बनाई गई पेंटिंग को कुलाधिपति श्रीमती स्तुति नारायण कक्कड़ ने वियतनाम के पूर्व राष्ट्रपति टंग टैग को भेंट की, जिन्होंने पेंटिंग का अनावरण किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुभारती विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती स्तुति नारायण कक्कड ने कहा कि तथागत गौतमबुद्ध ने विश्व को सत्य के मार्ग से लाभान्वित किया है और सुभारती विश्वविद्यालय तथागत गौतम बुद्ध को आदर्श मानकर भारत में बौद्ध धर्म को पल्लवित कर रहा है। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय द्वारा बौद्ध धर्म के लिये किये जा रहे विभिन्न कार्यो से सभी को रूबरू कराया, उन्होंने बताया कि सुभारती विश्वविद्यालय अपने प्राचीन बोधि वृक्ष के लिये विख्यात है और विश्वभर से लोग सुभारती विश्वविद्यालय में बोधिवृक्ष के दर्शन करने आते रहते हैं। उन्होंने सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज का भी सभी को परिचय दिया और विश्वविद्यालय की शिक्षा प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सुभारती ट्रस्ट के अध्यक्ष डा. हिरो हितो ने बताया कि वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय की 35 वीं वर्षगांठ पर सुभारती विश्वविद्यालय को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया, जिसमें मुख्य रूप से शौक्षिक आदान प्रदान कार्यक्रम आयोजित हुआ और सुभारती विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि मण्डल के सदस्यों को वियतनाम बुद्धिस्ट विश्वविद्यालय की शिक्षा पद्धति से अवगत कराया गया। उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि आज विश्व को तथागत गौतम बुद्ध के संदेशों पर चलने की आवश्यकता है और बौद्ध धर्म को पल्लवित एवं पुष्पित करने का कार्य भारत में जिस प्रकार सुभारती विश्वविद्यालय के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण बौद्ध ने किया है यह पुरे विश्व के लिये प्रेम, करूणा मैत्री का उदाहरण है जो विश्व को एक परिवार के रूप में विकसित करने के सपने के साथ तथागत गौतम बुद्ध के मार्ग पर चल रहे है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार तथागत बुद्ध ने शान्ति के मार्ग को खोज कर दुनिया को सफलता का मंत्र दिया ठीक इसी प्रकार आज के समय में तथागत बुद्ध के मार्ग पर चल कर शान्ति के साथ सफलता एवं प्रसन्नता हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रसन्नता एवं शान्ति इस संसार में सबसे अनमोल है जिसे खरीदा नहीं जा सकता है, 21वी सदी में मानव ने जीवन को सरल बनाने के लिए टैक्नोलॉजी तो विकसित कर ली है लेकिन शान्ति एवं प्रसन्नता के मार्ग से वह पिछड़ गया है। आज पूरा विश्व विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहा है।